भगवान हनुमान के बारे में 10 चौकाने बाले तथ्य (10 Amazing Facts About Lord Hanuman)
भगवान हनुमान के बारे में 10 चौकाने बाले तथ्य (10 Amazing Facts About Lord Hanuman)
इसमें कोई शक नहीं है कि भगवान हनुमान सभी के फेवरेट है और हालांकि हम में से काफी लोग इनके बारे में काफी कुछ जानते होंगे फिर भी ऐसी कई चीजें हैं जिन्हें हम वास्तव में हमारे प्रिय बजरंगबली के बारे में नहीं जानते है जैसे की हनुमान जी को पवन पुत्र क्यों कहते हैं? इनकी और श्री राम की मुलाकात कैसे हुई? पंचमुखी हनुमान के पीछे क्या कहानी है?
हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ ?
हनुमान जी के जन्म को लेकर कई कहानियां हैं। लेकिन 16वीं सदी में लिखे गए भावार्थ रामायण के अनुसार जब अंजना और केसरी ने पुत्र पाने के लिए शिवजी की पूजा कर रहे थे उसी दौरान अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र कामना यज्ञ कर रहे थे राजा दशरथ को पवित्र हलवा मिला जो उनकी पत्नियों में बांटा गया जिसके सेवन से राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
उसी दौरान एक चील ने उस हलवे का एक टुकड़ा छीन लिया और जंगल पर उड़ान भरने के दौरान गिरा दिया हिंदू देवताओं ने अंजना के हाथों में इस हलवे को पहुंचाया जिसके खाने से हनुमान का जन्म हुआ। इसीलिए हनुमान को अंजना केसरी और वायु का पुत्र माना जाता है।
क्या हनुमान जी को उनकी शक्तियों को भूलने का अभिशाप था ?
हाँ हनुमान जी बचपन में शरारती थे और जंगलों में ऋषि मुनियों का सामान अस्त-व्यस्त कर उन्हें परेशान करते थे। यह सोच कर कि हनुमान एक बच्चे हैं ऋषि मुनियों ने उन्हें एक छोटा अभिशाप दिया कि वह अपनी क्षमताओं को याद करने में असमर्थ होंगे और यह अभिशाप तब खत्म होगा जब कोई अन्य व्यक्ति उन्हें उनकी शक्तियों के बारे में याद दिलाएं। उन्हें किष्किंधा कांड के अंत में इस अभिशाप से राहत मिलती है। जब जामबंत हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद दिलाते हैं।
हनुमान जी को शक्तियाँ कैसे प्राप्त हुई ?
दोस्तों बचपन में हनुमान जी सूर्य को पका हुआ फल समझकर उसे खाने निकल पड़े राहु के समझाने पर भी हनुमान नहीं रुके तब राहु ने देवताओ के राजा इंद्र से शिकायत की और इंद्र देव को गुस्सा आया और उन्होंने हनुमान पर बज्र फेंका जो उनके जबड़े पर लगा हनुमान पृथ्वी पर गिरे और बेहोश हो गए। इससे क्रोधित हो कर होकर हनुमान के पिता वायुदेव (वायु) धरती से गायब हो गए और अपने साथ हवा भी ले गए।
धरती पर सभी को सांस लेने में तकलीफ होते देख इंद्र ने अपने वज्र के प्रभाव को वापस ले लिया। सभी देवों ने हनुमान को पुनर्जीवित किया और वायु देवता को प्रसन्न करने के लिए हनुमान पर कई वरदानो के आशीर्वाद किये। वरुण देव ने हनुमान को आशीर्वाद दिया कि वह हमेशा पानी से संरक्षित रहेंगे। अग्नि देव ने आशीर्वाद दिया कि आग उन्हें कभी नहीं जला पाएगी।
सूर्य ने उन्हें योग की दो सिद्धि अर्थात लघिमा और गरिमा दी। लघिमा के साथ वह सबसे छोटा रूप प्राप्त कर सकते थे। और गरिमा के साथ सबसे बड़ा रूप प्राप्त कर सकते थे। वायु ने उन्हें अपने आप से अधिक गति का आशीर्वाद दिया। यमदेव ने उन्हें अपने यमदंड से मुक्त किया। ब्रह्मा ने हनुमान को वरदान दिया कि किसी भी युद्ध में कोई भी हथियार उन्हें मारने में सक्षम नहीं होगा।शिव जी से हनुमान जी ने दीर्घायु ग्रंथ ज्ञान और समुद्र पार करने की क्षमता के वरदान प्राप्त किए। भगवान शिव ने एक कवच के साथ हनुमान की सुरक्षा का आश्वासन भी दिया।
हनुमान जी को हनुमान नाम कैसे मिला ? (Origin Of Name)
संस्कृत शब्द हनु का मतलब है जबड़ा और मन या मंत का मतलब है विकृत इस प्रकार हनुमान नाम का अर्थ है एक विकृत जबड़ा।
एक अन्य सिद्धांत के अनुसार यह नाम संस्कृत शब्द हान यानी मारे गए और मान मतलब गर्व से निकला है इसका मतलब है जिसका गर्व नष्ट हो गया हो वह हनुमान।
कुछ जैन ग्रंथों में उल्लेख है कि श्री हनुमान ने अपना बचपन हनुरा नाम के एक द्वीप पर बिताया था इसलिए उनका नाम हनुमान है।
हनुमान और श्री राम जी की मुलाकात कैसे हुई थी ?
सीता की खोज की खोज में राम और लक्ष्मण किष्किंध के मलय पहाड़ों पर आए थे। सुग्रीव और उनके भाई बाली के बीच युद्ध की स्थिति थी और सुग्रीव को लगा कि वाली ने इन लोगों को उन्हें मारने के लिए भेजा था सुग्रीव ने हनुमान को पता लगा ने कहा कि बो लोग कौन है और वहां किस कारण आए हैं।
हनुमान एक ब्राह्मण का वेश धारण करके उनसे मिलते हैं। राम ने वहां आने का उद्देश्य बताएं बताया और अपना और लक्ष्मण का परिचय भी दिया। हनुमान को पता चला कि जिन दो व्यक्तियों से वह बात कर रहे हैं और कोई नहीं बल्कि उनके प्रिय श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण है वह खुशी से फूले न समाए तुरंत ही वह अपने असली रूप में आ कर आकर श्री राम के चरणों में गिर पड़े।
हनुमान जी के शरीर का रंग केसरी कैसे हुआ ?
एक बार हनुमान ने सीता को सिंदूर लगाते देखा उन्होंने उनसे सिंदूर का उद्देश्य पूछा तब सीता ने जवाब दिया कि ये भगवान राम के स्वस्थ और लंबे जीवन के लिए था तब हनुमान ने भी भगवान राम के लंबे जीवन के लिए अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। इसीलिए मंदिरों में हनुमान जी की प्रतिमा का कलर केसरी होता है।
क्या आपको पता है हनुमान जी का एक पुत्र भी है ?
लंका को नष्ट करने के बाद जब हनुमान लौट रहे थे तब उन्होंने समुद्र में स्नान करके खुद को ठंडा किया। जब वो ऐसा कर रहे थे तो एक मछली या मगरमच्छ ने हनुमान के शरीर से निकला हुआ कुछ पसीना निगल लिया और इस तरह मकरध्वज की रचना हुई जिन्हें हनुमान का बेटा माना जाता।
पंचमुखी हनुमान के पीछे क्या कहानी है ?
लंका युद्ध के दौरान जब रावण के भाई अहिरावण ने राम और लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल लोक ले जाते हैं। उनको खोजते हुए हनुमान पाताल पहुंचते हैं लेकिन द्वार पर उनके ही पुत्र मकरध्वज का पहरा होता है। जिनसे लड़कर हनुमान को पाताल में प्रवेश मिल जाता है। हनुमान ने पता लगाया कि अहिरावण की जान 5 दिशाओं में रखे हुए दीपों में बसी हुई है और उनका वध करने के लिए इन पांचों दीपको को एक साथ बुझाना जरूरी है। इसीलिए हनुमान ने पंचमुखी रूप धारण किया। वाराहा, नरसिम्हा ,गरुड़ ,हयग्रीवा और हनुमान खुद इस पंचमुखी रूप से हनुमान ने पांचों दीपको को एक साथ बुझाया और राम और लक्ष्मण को बचाया।
श्री राम के प्रति सच्ची श्रद्धा
अयोध्या का ताज पहनने के कुछ समय बाद श्रीराम ने अपने सभी शुभचिंतकों को औपचारिक रूप से पुरस्कार देने का फैसला किया सीता ने अपने गले से सुंदर हार निकालकर हनुमान को भेज भेंट दी हार मिलते ही हनुमान उसमें लगे हर पत्थर को बारीकी से देखते हैं और उनमें राम और सीता नाम तलाश करते हैं। क्योंकि अगर उनका नाम नहीं है तो हार उनके लिए कोई मूल्य नहीं रखता।
इस पर कुछ लोग हनुमान का मजाक उड़ाने लगे और कहने लगे कि राम और सीता के लिए उनका सम्मान और प्रेम उतना गहरा नहीं हो सकता जितना हनुमान दिखा रहे हैं जवाब में हनुमान अपनी छाती चीर के दिखाते है। राम और सीता को सचमुच हनुमान के दिल में देख देखकर सब आश्चर्यचकित रह जाते हैं और हनुमान की श्री श्रीराम के प्रति भक्ति और निष्ठा में विश्वास करने लगते हैं।
बोनस फैक्ट -
हनुमान चालीसा की कहानी -
संत तुलसीदास भगवान राम के भक्त थे और हर शाम वाराणसी घाट के पास रामचरितमानस पढ़ते थे बहुत लोगों को सुनने के लिए इकट्ठे होते थे। इस दौरान संत तुलसीदास को किसी से पता चला कि भगवान हनुमान खुद बदसूरत दिखने वाले बूढ़े व्यक्ति के भेष में उनको सुनने आते हैं। अगले दिन तुलसी दास हनुमान जी को पहचानने में सक्षम थे और शाम का सत्र खत्म होने के बाद वो उस बूढ़े व्यक्ति का पीछा करते हैं हनुमान जी से ही तुलसीदास उनके पैरों में पड़ जाते हैं तब उन्होंने भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा लिखी थी। श्री हनुमान का वर्तमान में संकट मोचन मंदिर उस जगह पर है जहां संत तुलसीदास को हनुमान के दर्शन हुए थे।
तो दोस्तों यह थी अपने सुपर हीरो हनुमान के बारे में कुछ मजेदार कहानियां इस पोस्ट को अपने दोस्तों परिवार बालो को जरुर शेयर कीजिए जिससे वो भी हनुमान जी के बारे में और अधिक जान पाए। और कमेंट में बताइए आपको यह पोस्ट कैसी लगी। जय बजरंगबली
जय हनुमान।